link
उड़ान
बाल कविताएँ
बाल कहानियाँ
बाल प्रतिबिम्ब
सौ साल की चुनिंदा बाल कविताएँ
Wednesday, 10 August 2011
खिचड़ी के यार
-उषा यादव
चिड़िया लेकर आई चावल
और कबूतर दाल
बंदर मामा बैठे
-
बैठे
बजा रहे थे गाल
चिड़िया और कबूतर बोले
मामा
,
लाओ घी
खिचड़ी में हिस्सा चाहो तो
ढूँढ़ो कहीं दही
पहले से हमने ला रक्खे
पापड़ और अचार
यही चार तो होते हैं जी
इस खिचड़ी के यार
!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment