नन्हीं-सी एक परी
उतरी है मेरे आँगन में
लगता है उसके पहले
कोई कमी थी जीवन में
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[ IYRA } |
रोती है वो कभी-कभी
तो कभी वो मुस्कराती है
मेरी सारे दिन की
थकान को दूर भगाती है
अपनी नन्हीं उंगलियों से
मुझको वो छूना चाहती है
होता है दिन मेरा पूरा
जब "माँ" वो मुझे बुलाती है
-ईप्सा
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