Friday 1 June 2018

मेरा भी तो मन करता है


यहाँ सुने इस बाल कविता को एक बच्ची के स्वर में



मेरा भी तो मन करता है
मैं भी पढ़ने जाऊँ
अच्छे कपड़े पहन
पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ

क्यों अम्मा औरों के घर
झाडू-पोंछा करती है
बर्तन मलती, कपड़े धोती
पानी भी भरती है

अम्मा कहती रोज
‘बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ’
लेकिन मेरा मन कहता है
‘अम्मा मुझे पढ़ाओ’

कल्लन कल बोला
बच्चू ! मत देखो ऐसे सपने
दूर बहुत है चाँद
हाथ हैं छोटे-छोटे अपने

लेकिन मैंने सुना
हमारे लिए बहुत कुछ आता
हमें नहीं मिलता
रस्ते में कोई चट कर जाता

डौली कहती है
बच्चों की बहुत किताबें छपती
सजी-धजी दूकानों में
शीशे के भीतर रहतीं

मिल पातीं यदि हमें किताबें
सुन्दर चित्रों वाली
फिर तो अपनी भी यूँ ही
होती कुछ बात निराली

   
-डा० जगदीश व्योम

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