Wednesday 14 February 2018

नाव, नदी और छुटकू


नदी किनारे गांव
गांव में छुटकू रहता है
छुटकू का मन वहीं नाव में
डोला करता है

उसका मन है
नदिया के संग
दूर देश जाऊं
रंग बिरंगी ढेर किताबें
लेकर मैं आऊँ

दिल की बातें अक्सर वह
पानी से कहता है

पढ़ने लिखने
से आएगा
उसको ज्यादा ज्ञान
और ज्ञान से बन पाएगा
वह बेहतर इंसान

दादू कहते
ज्ञान किताबों में ही बहता है

छुटकू की बातें
मछली को
लगतीं बहुत भली
उसे देखकर छोटी मछली
आती तुरत चली

सूरज भी पानी में
उसके संग संग चलता है

- प्रदीप शुक्ल

No comments:

Post a Comment