राम चरित मानस
पढ़ता था
दिन में मिट्ठू तोता
लेकिन सुबक सुबक कर मिट्ठू
रात रात भर रोता
मिंकू
विद्यालय से लौटा
खेल रहा फ़ुटबाल
मिट्ठू की पिंजरे में केवल
तीन कदम की चाल
मिंकू दौड़े खेतों में
मिट्ठू पिंजरे में होता
मिट्ठू के
बचपन का साथी
बैठा हुआ मुंडेर
रहा देखता मिट्ठू उसको
जाने कितनी देर
रोज रात को सपने में
मिट्ठू पेड़ों पर सोता
और एक दिन
मिट्ठू जब
बैठा था बहुत उदास
मिंकू को उसके दुक्खों का
हुआ तभी अहसास
पिंजरा खुला लगाए मिट्ठू
अब खुशियों का गोता
-प्रदीप शुक्ल
पढ़ता था
दिन में मिट्ठू तोता
लेकिन सुबक सुबक कर मिट्ठू
रात रात भर रोता
मिंकू
विद्यालय से लौटा
खेल रहा फ़ुटबाल
मिट्ठू की पिंजरे में केवल
तीन कदम की चाल
मिंकू दौड़े खेतों में
मिट्ठू पिंजरे में होता
मिट्ठू के
बचपन का साथी
बैठा हुआ मुंडेर
रहा देखता मिट्ठू उसको
जाने कितनी देर
रोज रात को सपने में
मिट्ठू पेड़ों पर सोता
और एक दिन
मिट्ठू जब
बैठा था बहुत उदास
मिंकू को उसके दुक्खों का
हुआ तभी अहसास
पिंजरा खुला लगाए मिट्ठू
अब खुशियों का गोता
-प्रदीप शुक्ल
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